पहाड़ों की रानी मसूरी की दुर्दशा पहले तो कभी ऐसे नहीं रही।

विश्व प्रसिद्ध पर्यटक नगरी मसूरी का ऐसा हाल पहले कभी नहीं देखा ।विकास के नाम पर पूरी सड़कों जो बुरा हाल है ,पैदल जाने के लिए भी भारी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है । लोग परेशान हैं, पर्यटन सीजन चरम पर है ,ऐसे में कई सवाल नगर प्रशासन और जिला प्रशासन पर उठ रहे हैं । विकास के नाम पर यह कैसा भद्दा मजाक मसूरी के व्यापारियों, स्थानीय लोगों, पर्यटकों के साथ किया जा रहा है ,यह समझ से परे है।
अप्रैल-मई से मसूरी में पर्यटक सीजन शुरू हो जाता है । देश- विदेश से पर्यटक मसूरी माल रोड का मजा लेते हैं। लेकिन विगत 5 सालों से जो मसूरी की दुर्दशा हुई है वह सबके सामने हैं । मसूरी विश्व पर्यटक स्थल है यहां की चमचमाती सड़कें पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती थी ।
लेकिन विगत 5 सालों से मसूरी का जो बुरा हाल हुआ वह किसी से छुपा नहीं है । नगर प्रशासन पूरी तरह से इसके लिए जिम्मेदार है।

मसूरी में
विकास के नाम पर जो नंगा नाच देखने को मिल रहा है ।‌ वह किसी से छुपा नहीं है। मन को आज बहुत कष्ट हुआ । जब मेरी मसूरी जहां मैंने जन्म लिया जहां मेरी पढ़ाई लिखाई हुई उसकी दुर्दशा को देखकर । जब स्थानीय लोगों को मैंने इस विषय में पूछा तो उन्होंने नगर प्रशासन और जिला प्रशासन को कोसते हुए कहा कि भाई साहब पहली बार दूरस्थ गांव में रहने का अनुभव मिला है। स्थानीय व्यापारियों की पीड़ा को मैंने करीब से देखा है । पर्यटक सीजन में ही जो पूरे साल के लिए अपनी दाल रोटी का जुगाड़ करते हैं । विगत कुछ वर्षों से पहले कोरोना वायरस की वजह से पर्यटन सीजन चौपट रहा। कई लोग बेरोजगार हुए ऐसे में इस समय उम्मीद थी कि सब कुछ ठीक होगा ,लोगों को रोजगार मिलेगा । व्यापारियों को विगत 3 सालों में जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई होगी। उस पर नगर प्रशासन जिला प्रशासन में जो पलीता लगाया वह आप सबके सामने हैं । स्थानीय लोगों के साथ पर्यटक भी मसूरी माल रोड की दुर्दशा को लेकर आक्रोशित दिखाई दे रहे हैं। जब से मसूरी नगर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कमान संभाली । उस समय से मसूरी का विकास कार्य तो पूरी तरह से ठहर सा गया है। मसूरी में विकास के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है। मसूरी के व्यापारी अपने व्यवसाय को लेकर चिंतित दिखाई दे रहे हैं । उनकी पीड़ा को सुनने वाला कोई नहीं है। आज ग्राउंड रिपोर्ट में मुझे जो देखने को मिला स्थानीय लोगों के आरोप सही पाए गए मसूरी नगर प्रशासन और जिला प्रशासन पूरी तरह से मसूरी की बर्बादी को लेकर जिम्मेदार है । स्थानीय व्यापारियों में आक्रोश दिखाई दे रहा है । वहीं पर्यटक भी खुलकर माल रोड की दुर्दशा को देखकर खास नाराज दिखाई दे रहे हैं। 20 साल पहले मेरी मसूरी ऐसे नहीं थी । विकास के नाम पर जो कंक्रीट के जंगल खड़े दिखाई दे रहे हैं । उसके लिए एमडीडीए और नगर प्रशासन भी पूरी तरह से जिम्मेदार है। देहरादून से मसूरी के बीच में पहले गिने-चुने जगह पर ही एक – दो दुकाने हुआ करती थी । आज देहरादून से मसूरी आते हुए बीच में पेड़ों की जगह कंक्रीट की इमारतें खड़ी दिखाई दे रही हैं। जो एमडीडीए स्थानीय लोगों को उनके जर्जर मकानों की मरमत को भी इजाजत नहीं देता उसकी नाक के नीचे इतने बड़े निर्माण कार्य कैसे हो रहे हैं। जो मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण पर सवाल खड़ा करता है। जिन पहाड़ों पर कभी घने जंगल हुआ करते थे वहां कैसे बड़े-बड़े होटल बन गए हैं उनको कैसे परमिशन मिल गई है । इसका जवाब एमडीडीए के पास भी शायद नहीं होगा । आज मुझे भी बहुत कष्ट हुआ जब मैं माल रोड पर टहल रहा था और मुझे भी पैदल चलने में जो कठिनाइयों से रूबरू होना पड़ा । गुस्से के साथ आक्रोश भी था। और मेरे मन में कई सवाल भी खड़े हुए। हफ्ते भर में मसूरी में पर्यटकों का आना चरम पर होगा। क्या एक हफ्ते में माल रोड की खस्ताहाल सड़कों की दुर्दशा में सुधार होगा? माल रोड की जो दुर्दशा है क्या वह इतना जल्दी ठीक हो पाएगी? पीने के पानी की व्यवस्था कैसे ठीक हो पाएगी? पार्किंग जो एक बड़ी समस्या है वह कैसे ठीक हो पाएगी ? जैसी तमाम मूलभूत समस्याओं को कैसे दूर किया जाएगा । लगता नहीं एक हफ्ते में यह सब ठीक हो पाएगा। ऐसा मुझे नहीं लगता। जो मैंने माल रोड की हालत को देखा है समझा है उससे तो ऐसा नहीं लगता कि जिला प्रशासन और नगर प्रशासन इतने कम समय में इन समस्याओं का निराकरण कर पाएगा।