ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली 81.1 फीसदी गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित

गीता यादव
गर्भवती महिलाओं पर किए एक अध्ययन से पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली 81.1 फीसदी गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। इस अध्ययन में यह भी सामने आया है कि गर्भावस्था के दौरान एनीमिया समय से पहले जन्म, भ्रूण के विकास के साथ-साथ गर्भपात और उच्च शिशु मृत्यु दर से लेकर मातृ मृत्यु के 20 से 40 फीसदी मामलों के लिए जिम्मेदार है। ऐसा नहीं है कि सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है। भारत में गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की रोकथाम के लिए कई उपाय किए गए हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए आयरन और फोलिक एसिड की खुराक वितरित करना और पोषण के बारे में जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करना जैसे प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। इसके बावजूद गर्भवती भारतीय महिलाओं में एनीमिया एक आम समस्या बनी हुई है।

इस अध्ययन के जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनके मुताबिक भारत में 50 फीसदी से अधिक गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। जिसका महत्वपूर्ण संबंध उनकी भौगोलिक स्थिति, शिक्षा के स्तर और आर्थिक समृद्धि से जुड़ा है। रिसर्च के मुताबिक गर्भावस्था से संबंधित एनीमिया अपर्याप्त पोषक आहार, आयरन की पर्याप्त मात्रा न मिल पाना या पहले से मौजूद स्थितियों के कारण हो सकता है। हैरानी की बात यह है कि शौचालय भी इस पर व्यापक असर डालते हैं। एक रिसर्च के अनुसार बेहतर शौचालय सुविधाओं का उपयोग करने वाली महिलाओं में गंभीर से मध्यम एनीमिया होने की आशंका साढ़े सात फीसदी कम होती है। वहीं यदि भौगोलिक रूप से देखें तो भारत के दक्षिणी हिस्सों की तुलना में पूर्वी क्षेत्रों में एनीमिया का प्रसार 17.4 फीसदी अधिक है। इसलिए भारत सरकार का पूरा ध्यान इस बीमारी का जड़ से खात्मा करने पर है।

इसके लिए केंद्र सरकार ने 2018 में ही  एनीमिया मुक्त भारतीय की रणनीति बनाई थी। इस अभियान का उद्देश्य पोषण अभियान, टेस्टिंग, डिजीटल तरीके और पॉंइंट ऑफ केयर का उपयोग करके एनीमिया का इलाज, फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों का प्रावधान और सरकार द्वारा वित्त पोषित सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम द्वारा जागरूकता बढ़ाना है। गत वर्ष 2023 के बजट में भी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हेल्थ बजट में घोषणा करते हुए देश को 2047 तक एनीमिया रोग से मुक्त करने का लक्ष्य रखा था। हाल ही में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ;एम्सद्ध नई दिल्ली के चिकित्सकों को इस दिशा में एक बड़ी कामयाबी मिली है। लंबे शोध के बाद अब एक डोज इंजेक्शन से ही गंभीर एनीमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं का सफल इलाज  संभव हो पाएगा।