हरियाणा। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह फिर से जेल से बाहर आना चाहते है, इसी उम्मीद से उसने किसी भी तरह की पैरोल या फरलो देने पर रोक के आदेश को हटाने के लिए हाई कोर्ट के समक्ष गुहार लगाई है। डेरा प्रमुख के अनुसार, इस साल उसके पास अभी भी 41 दिन की पैरोल/फरलो बची हुई है और वे इसका लाभ उठाना चाहते हैं।
गुरमीत सिंह दुष्कर्म और हत्या के मामलों में दोषी है और वर्तमान में रोहतक जेल में सजा काट रहा है। वह पैरोल या फरलो पर रिहाई के लिए आवेदन करना चाहता है। उसने दावा किया है कि वह इस साल 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो सहित कुल 41 दिनों की अवधि के लिए रिहाई के लिए पात्र है। 29 फरवरी को, हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने राज्य को निर्देश दिया था कि भविष्य में अदालत की अनुमति के बिना डेरा प्रमुख के पैरोल के आवेदन पर विचार न किया जाए।
29 फरवरी के आदेशों पर रोक हटाने की मांग करते हुए डेरा प्रमुख ने अब दलील दी है कि पैरोल और फरलो देने का उद्देश्य सुधारात्मक प्रकृति का है और दोषी को परिवार और समाज के साथ अपने सामाजिक संबंधों को बनाए रखने में सक्षम बनाना है। डेरा प्रमुख, जो वर्तमान में रोहतक जेल में बंद है, ने यह भी दावा किया है कि डेरा प्रमुख को दी गई पैरोल उन दोषियों के समान है जो इसी तरह की स्थिति में हैं।
29 फरवरी का आदेश डेरा प्रमुख के अधिकारों को नुकसान पहुंचा रहा है क्योंकि वह अधिनियम के अनुसार इस वर्ष 20 दिनों के लिए पैरोल और 21 दिनों के फरलो के लिए पात्र हैं और जैसा कि अन्य समान रूप से रखे गए दोषियों को दिया गया है। डेरा प्रमुख ने यह भी कहा है कि हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (टेम्पररी रिलीज) एक्ट 2022 के तहत पात्र दोषियों को हर कैलेंडर वर्ष में 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का अधिकार दिया गया है।
साथ ही यह भी कहा गया है कि नियम ऐसे किसी भी दोषी को पैरोल और फरलो देने पर रोक नहीं लगाते हैं, जिसे आजीवन कारावास और निश्चित अवधि की सजा वाले तीन या अधिक मामलों में दोषी ठहराया गया हो और सजा सुनाई गई हो। डेरा प्रमुख को हर कैलेंडर वर्ष में 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देना पूरी तरह से कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद संबंधित वैधानिक परविधान के अनुसार है।
डेरा प्रमुख की अर्जी में कहा गया कि उसे किसी भी स्तर पर कोई विशेष विशेषाधिकार नहीं दिया गया है। बार बार डेरा प्रमुख को पैरोल/फरलो देने के खिलाफ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर फरवरी माह में कोर्ट ने डेरा प्रमुख को भविष्य में कोर्ट की इजाजत के बगैर पैरोल या फरलो देने पद रोक लगा दी थी।