बिहार के बाद अब यूपी में पेपर लीक के खिलाफ सख्त कानून, 1 करोड़ जुर्माना से लेकर उम्र कैद तक की होगी सजा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा ने पेपर लीक और परीक्षा धांधली से निपटने के लिए दो महत्वपूर्ण विधेयक पास किए हैं। इन विधेयकों के अनुसार, राज्य में अब परीक्षा में धांधली करने वाले व्यक्ति को 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना और आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। यह कानून परीक्षा से संबंधित सभी कर्मचारियों को भी अपनी जद में लाएगा।

नए विधेयक के प्रमुख प्रावधान:
छात्रों पर सजा: छात्र किसी भी दंड की परिधि में नहीं आएंगे। उनके परीक्षा परिणाम को रोककर उन्हें एक साल के लिए अगली परीक्षा में भाग लेने से प्रतिबंधित किया जाएगा।

परीक्षा से संबंधित संस्थान: यूपी लोक सेवा आयोग, यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, बोर्ड, विश्वविद्यालय, प्राधिकरण और अन्य परीक्षा आयोजित करने वाले निकाय भी इस कानून के अंतर्गत आएंगे।

सॉल्वर गैंग और सेवा प्रदाता: सॉल्वर गैंग, सेवा प्रदाता, उनके कर्मचारी और एजेंट भी इस कानून के दायरे में होंगे। इन पर कठोर दंड लगाया जाएगा।

फर्जी वेबसाइट और प्रश्नपत्र: फर्जी वेबसाइट बनाना, फर्जी परीक्षा आयोजित करना, फर्जी प्रवेश पत्र जारी करना और फर्जी प्रश्नपत्र प्रसारित करना भी अपराध होगा।

अधिकतम सजा: पेपर लीक, नकल और परीक्षा से जुड़ी गड़बड़ियों में संलिप्त लोगों को आजीवन कारावास और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

परीक्षा संस्थान की जिम्मेदारी: अगर कोई परीक्षा संस्थान या एजेंसी संलिप्त पाई जाती है, तो उससे परीक्षा का पूरा खर्च वसूला जाएगा और उसकी संपत्ति भी कुर्क की जा सकती है।

अशमनीय अपराध: सभी अपराध संज्ञेय, गैरजमानतीय और सत्र विचारणीय होंगे। जमानत पर अभियुक्त को तब तक नहीं छोड़ा जाएगा जब तक लोक अभियोजक को विरोध का अवसर नहीं दिया गया हो।

सामूहिक नकल: यदि किसी परीक्षा में सामूहिक नकल की जाती है, तो उस संस्थान को भविष्य में किसी भी सार्वजनिक परीक्षा को संचालित करने से प्रतिबंधित किया जाएगा।

भविष्य में प्रतिबंध: अगर कोई व्यक्ति या संस्था परीक्षा सामग्री के प्रबंधन या परिवहन के लिए अनुबंधित होता है और इस कानून के तहत दोषी पाया जाता है, तो उसे भविष्य में ऐसे असाइनमेंट के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।

प्रस्तावित निजी विश्वविद्यालय विधेयक:
इसके साथ ही, विधानसभा में निजी विश्वविद्यालय विधेयक भी पास हुआ है। यह विधेयक योगी सरकार द्वारा पहले उठाए गए कड़े कदमों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जा रहा है, जो पेपर लीक जैसे मामलों के खिलाफ एक और मजबूत कदम है।