उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) एवम उत्तराखण्ड जल संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में विश्व जल दिवस 2025 के उपलक्ष्य में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभिन्न विशेषज्ञों ने ग्लेशियर संरक्षण, जल गुणवत्ता, संरक्षण और संबंधित तकनीकी क्षेत्रों पर अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. डी.पी. उनियाल, संयुक्त निदेशक, यूकॉस्ट ने जल गुणवत्ता, ग्लेशियर संरक्षण और जल क्षेत्र में भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की। उन्होंने ग्लेशियरों के संरक्षण और जल संकट को लेकर नई शोध संभावनाओं की आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर डॉ. एम.एस. रावत, वैज्ञानिक अधिकारी, यूकॉस्ट ने रिमोट सेंसिंग और जीआईएस (जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम) के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि इन तकनीकों का उपयोग राज्य में जल के प्रमुख नदियों, नौले, धारों की जल गुणवत्ता की निगरानी और जल संकट के समाधान में प्रभावी साबित हो सकता है।
डॉ. विकास कंडारी, मुख्य रसायनज्ञ, उत्तराखंड जल संस्थान ने जल गुणवत्ता मूल्यांकन और जल संरक्षण के क्षेत्र में नई उभरती तकनीकों की चर्चा की। उन्होंने जल गुणवत्ता के परीक्षण में नवाचारों की आवश्यकता और राज्य में जल स्रोतों की शुद्धता बनाए रखने के लिए उन्नत तकनीकी दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।
इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों के अलावा, विकास नौटियाल और आर्चित पाण्डेय ने भी जल गुणवत्ता से संबंधित मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। दोनों ने जल संरक्षण और जल गुणवत्ता में सुधार के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित किया।
कार्यक्रम के दौरान तीन दिवसीय राज्य स्तरीय जल गुणवत्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन सत्र भी आयोजित किया गया। इस कार्यशाला में नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेटरीज (NABL) के अद्यतन कार्यों पर चर्चा की गई। प्रशिक्षण ने प्रतिभागियों को NABL प्रमाणन प्रक्रिया और ISO/IEC 17025 के अनुपालन के बारे में जानकारी प्रदान की। इसके साथ ही, उत्तराखंड में जल गुणवत्ता से संबंधित सूक्ष्मजैविकीय तत्वों पर भी चर्चा की गई। इस कार्यशाला में उत्तराखंड के सभी 26 जिलों और उप-क्षेत्रीय जल गुणवत्ता प्रयोगशालाओं के तहत परियोजना प्रबंधन इकाई के रसायनज्ञों ने प्रतिभाग किया ।
कार्यक्रम में यूकॉस्ट के समस्त वैज्ञानिक व कर्मचारियों , पर्यावरण प्रेमियों द्वारा भाग लिया गया और जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया ।यूकॉस्ट में जल गुणवत्ता तथा ग्लेशियर संरक्षण के क्षेत्र में भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की।