नई दिल्ली। नवंबर का महीना आते ही दिल्ली में सांसों का संकट बीते कई सालों से शुरू हो जाता है। आंखों में चुभन, सीने में जलन और गले में खराश के लक्षण दिखते हैं। लेकिन यह हाल अकेले दिल्ली का ही नहीं है बल्कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में भी यह संकट पैदा हुई है। इसके अलावा हैदराबाद और कोलकाता में भी बीते 5 सालों में एयर पलूशन तेजी से बढ़ा है। मुंबई में तो हवा में प्रदूषण 2019 से 2023 तक दोगुना हो चुका है। क्लाइमेट टेक स्टार्टअप रेस्पायरर लिविंग साइंसेज के मुताबिक 2019 से 2023 के दौरान देश के 4 बड़े शहरों में पलूशन का लेवल तेजी से बढ़ा है।
खासतौर पर समुद्री हवाओं के चलते साफ हवा के लिए मशहूर रहे मुंबई में इस साल बीते वर्ष के मुकाबले एयर पलूशन 42.1 फीसदी तक बढ़ गया है। इससे पहले 2019 के मुकाबले 20 में 54 फीसदी तक का इजाफा हुआ था। मुंबई प्रशासन ने पलूशन से निपटने के लिए 350 सरकारी बसों में एयर फिल्टर लगाए हैं। इसके अलावा कुछ खास जगहों पर एयर प्यूरिफिकेशन सिस्टम भी लगाए हैं। इसके अलावा खास तरह की स्ट्रीटलाइट्स भी लगी हैं। मुंबई में जगह-जगह पर ऊंचाई से पानी छिड़का जा रहा है ताकि धूल के कड़ों को दबाया जा सके।इसी तरह दिल्ली में एक बार फिर दिवाली से पहले पलूशन दम घोंट रहा है। बीते करीब एक सप्ताह से दिल्ली में एयर पलूशन खतरनाक लेवल पर चला गया है। करीब 400 के लेवल पर गया एक्यूआई दिल्ली के अलावा गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम समेत पूरे एनसीआर में ही संकट है। दक्षिण भारत के बड़े शहर हैदराबाद में भी हालात बिगड़े हैं। इस साल बीते वर्ष की तुलना में शहर में एयर पलूशन में 18.6 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसके अलावा बीते साल भी 29 फीसदी बढ़ गया था।कोलकाता में भी संकट, पर इन 4 शहरों में मिली राहतकोलकाता में अमूमन हवा साफ ही रहती थी, लेकिन यहां भी अब हालात बदल गए हैं। इस साल एयर पलूशन में 40 फीसदी का इजाफा हुआ है। इससे पहले 2021 में 51 फीसदी अधिक था। हालांकि 2022 में 33 फीसदी की कमी दर्ज की गई थी, लेकिन अब यह फिर से बढ़ा है। हालांकि सरप्राइज की बात यह है कि लखनऊ, पटना, बेंगलुरु और चेन्नै में बीते साल के मुकाबले हवा साफ बनी हुई है। सबसे बड़ी कमी चेन्नै में आई है, जहां 23 फीसदी कम हुआ है। इसके अलावा बेंगलुरु में 11, पटना में भी 11 और लखनऊ में महज 0.9 फीसदी की कमी आई है।बता दें कि एयर पलूशन का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली के 4 पड़ोसी राज्यों राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और यूपी से पूछा था कि उन्होंने पलूशन कम करने के लिए क्या कदम उठाए हैं। शीर्ष अदालत ने चारों राज्यों से इसे लेकर रिपोर्ट सौंपने को भी कहा है। हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने को उत्तर भारत के राज्यों में पलूशन की वजह माना जाता रहा है। रविवार को ही पंजाब में पराली जलाने के मामलों में 740 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया था।