राज्य बनने के बाद जिस तरह से देवभूमि में बाहरी प्रदेश के लोग बड़ी संख्या में यहां अपना ठिकाना बना रहे हैं । यहां जमीन खरीद रहे हैं । यही नहीं नदी -नालों के किनारे भारी अतिक्रमण किया जा रहा है । मैदान ही नहीं बल्कि पहाड़ों में भी बड़ी मात्रा में बाहर से आकर लोग बस रहे हैं ।अपराधिक घटनाओं को भी अंजाम दे रहे हैं । समय-समय पर इस प्रकार की घटनाएं सामने आ चुकी हैं ।
देवभूमि जो कभी सुरक्षित माना जाता था। अब असुरक्षित लग रहा है । ताजा रिपोर्ट के अनुसार इन 22 सालों में प्रदेश में करीब 85000 बाहर मतदाताओं की संख्या बढ़ी है। जो अपने प्रदेशों के हिसाब से अधिक है । सरकार को गंभीरता से इस प्रकरण को लेना होगा । जिस तरह से हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण हुआ। जिस पर विवाद भी हो रहा है। मामला सर्वोच्च अदालत में है । ऐसे यदि समय रहते सरकार नहीं चेती तो ए वाला समय एक बड़ी मुसीबत बन सकता है। मैदानी क्षेत्रों में जिस तरह से सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण हो रहा है । हरिद्वार ,उधम सिंह नगर ,देहरादून के कई इलाकों में नदी नालों के किनारे अतिक्रमण किया जा रहे हैं यहां के जनप्रतिनिधियों द्वारा वोट बैंक के खातिर इनका इस्तेमाल किया जा रहा है । उन्हें मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है ये लोग कौन हैं कहां से आये इन झुग्गी झोपड़ी को कौन बनवा रहा है। खुफिया विभाग को अभी इसकी जानकारी क्यों नहीं हुई । सहसपुर, विकास नगर, धर्मपुर विधानसभाओं में बड़ी संख्या में बहारी लोग बस रहे हैं । हैरानी की बात तो यह है कि सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ता ही इनका समर्थन कर रहे हैं। उनके आधार कार्ड ,राशन कार्ड आदि बना रहे हैं । राज्य की खुफिया विभाग और सरकार इस ओर आंखें मूंदे हुए हैं । इसके अलावा उत्तर प्रदेश में जिस तरह योगी सरकार ने अपराधियों के खिलाफ मुहिम छेड़ी हुई है। उससे वहां के कई गैंगस्टर माफियाओं ने भी उत्तराखंड में अपना ठिकाना बनाए हुए हैं । इसके अलावा पश्चिम उत्तर प्रदेश से भी कई लोग यहां आकर बस गए । स्थानीय लोगों पर हावी होने की कोशिश करते हैं। अभी तक सरकार के मुख्यमंत्री , मंत्री विधायक, अपनी अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर खामोश हैं । यदि यह सिलसिला चलता रहा तो आने वाले समय में राज्य में सुरक्षा की दृष्टि से महफूज नहीं कहा जा सकता है सरकार और पुलिस विभाग को इस रूट ध्यान देने की जरूरत है।