धर्मपुर के विधायक विनोद चमोली ने नगर निगम की जमीन पर अतिक्रमण को लेकर नगर निगम , स्थानीय प्रशासन, वन विभाग, और राजस्व विभाग पर सरकारी जमीन की पर अतिक्रमण को लेकर अकर्मण्यता दिखाने का आरोप लगाया। बाकायदा इसके लिए उन्होंने विधायक हॉस्टल में अपने आवास पर प्रेस वार्ता कर अपनी ही सरकार को भी कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की । उनका आरोप है कि कई बड़े नेता और भू माफियाओं की सांठगांठ से यह सब हो रहा है। उनके आरोप पर मुझे एक कहावत याद आ गई “सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली” ।
विधायक विनोद चमोली लंबे समय तक पार्षद से लेकर नगर पालिका अध्यक्ष और दो बार मेयर रह चुके हैं उनके इस लंबे कार्यकाल के दौरान सबसे ज्यादा नगर निगम की जमीन पर अतिक्रमण हुआ। कई बेशकीमती जमीन उस दौरान खुर्द- बुर्दू की गई। कई अवैध बस्तियां अतिक्रमण कर बसाई गई। उनकी विधानसभा धर्मपुर की बात करें तो एक बड़ी जमीन कब्रिस्तान के लिए दी गई, 2011 में उनके द्वारा टिहरी विस्थापित लोगों से उन्होंने हरिद्वार बायपास पर टिहरी पार्क बनाने के लिए जो जमीन दिखाई थी उस जमीन को कौन निगल गया? सृष्टि बिहार में नगर निगम की जमीन पर एक भू माफिया ने प्लॉटिंग कर दी थी, स्थानीय लोगों ने भारी विरोध कर उस जमीन को बचाया। हैरानी की बात तो यह रही कि विधायक ने उस भूमाफिया को भाजपा के मंचों पर बैठाने लगे यहां तक की पार्षद का टिकट की पैरवी करने लगे। जब टिकट नहीं मिला तो वह निर्दलीय लड़ा और फिर उसे मंडल में पदाधिकारी बना दिया । कारगी क्षेत्र में विधायक चमोली के करीबी ने कैसे निगम की जमीन पर कब्जा किया। कई स्कूल/ कॉलेजों को कैसे निगम की जमीन पर अतिक्रमण हुआ।
बंगाली कोठी में नगर निगम की जमीन जिस पर शौचालय बनाना था । उस पर एकाएक रात को दुकान कैसे बन गई, एक इंस्टीट्यूट ने कैसे निगम की जमीन पर खेल मैदान बनाया। बंजारावाला क्षेत्र में एक समुदाय विशेष ने कसाई मोहल्ला पर अतिक्रमण किया । अतिक्रमण कराने वाले भी विधायक के करीबी। सबसे ज्यादा धर्मपुर विधानसभा में रोहिंग्या मुसलमान अवैध रूप से रह रहे हैं। इस तरह के सैकड़ों मामले अतिक्रमण के हैं जो विधायक चमोली के समय में हुए। लेकिन मीडिया के सामने उन्होंने बड़ी चतुराई और ईमानदारी से अतिक्रमण को लेकर अपनी बात रखी। जबकि वह भूल गए कि नगर निगम की सबसे अधिक जमीन उनके कार्यकाल में ही खुर्द बुर्द हुई। दरअसल दबाव की राजनीति में माहिर विधायक चमोली ये सब मंत्री बनने के लिए सुर्खियों में रहने के लिए यह कर रहे हैं। विधायक चमोली स्वयंभू मुख्यमंत्री मेटरिल खुद को मानते हैं। पर वह मंत्री के लिए संघर्षरत हैं इस बात का उन्हें मलाल है। खुद को सबसे बड़ा राज्य आंदोलनकारी बताने वाले विधायक विनोद चमोली से पूछा जाए कि प्रदेश हित में उन्होंने क्या किया। कभी भू -कानून, राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं, उनकी पीड़ा को , गैरसैंण कोई स्थाई राजधानी बनाने ,पलायन ,बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर कभी विधानसभा में एक भी सवाल नहीं उठाया । अहंकार की चासनी में डूबे विधायक को कभी भी इन गंभीर मुद्दों पर बोलते नहीं देखा गया। अचानक उन्हें अतिक्रमण की याद कैसे आ गई। अतिक्रमण को लेकर नगर प्रशासन और स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से गंभीर हैं ।और धामी सरकार ने तो आज ही कैबिनेट में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की सिफारिश की।