पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने बेरोजगारों पर लाठीचार्ज पर माफी मांगी। घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।

देहरादून ___बेरोजगारों पर लाठीचार्ज को लेकर पूरे प्रदेश में इस घटना को लेकर युवाओं में आक्रोश है ।लोग इस घटना की चौतरफा निंदा कर रहे हैं। विपक्षी पार्टियां हमलावर हैं। उसके बावजूद भाजपा के नेताओं ने इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं । निंदा तो‌ दूर की बात है। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत ने युवाओं और अभिभावकों से इस मुद्दे पर माफी मांगी।

पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने युवाओं पर लाठीचार्ज पर माफी मांगते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। इससे पूर्व भी रावत विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटाले पर भी मुखर रहे। अंकिता भंडारी हत्याकांड पर भी जहां भाजपा के बयानबीर बयान देने‌ से बच रहे थे । वहीं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने इसकी कड़ी शब्दों में निंदा की । और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया। श्रीनगर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का जोरदार स्वागत हुआ । इस दौरान मीडिया के सवालों पर उन्होंने प्रदेश की सभी युवाओं और अभिभावकों से माफी मांगते हुए कहा प्रदेश के निर्माण में युवाओं का बहुत बड़ी भूमिका रही है। युवाओं का योगदान को भुलाया नहीं जा सकता ।बेरोजगार युवाओं के साथ जो हुआ वह गलत है। उनके इस बयान से भले ही राजनीतिक गलियारों में कई मायने निकल रहे हैं । लेकिन जो उन्होंने कहा वह बिल्कुल सच है। जिस तरह रात को बेरोजगारों को घसीटा गया ।उनसे‌ मारपीट कर पुलिस ने कार्रवाई की। उसके बाद दूसरे दिन जो लाठीचार्ज हुआ वह राज्य आंदोलन के दौरान की घटनाओं को ताजा कर गई। मित्र पुलिस का वह रौद्र रूप ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया। लोकतंत्र में सरकार के सामने ऐसे विरोध होते रहते हैं । धरना ,प्रदर्शन ,इस तरह के आंदोलन आम बात है। यह सब सामान्य और आम बात है। प्रचंड बहुमत की सरकार बेरोजगारों के इस आंदोलन से इतनी घबरा गई कि उसे कुचलने के लिए उसे लाठी डंडों का सहारा लेना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री के साथ कई विधायक/ मंत्री राज्य आंदोलनकारी रहे हैं । एक -आध विधायक तो रासुका -रासुका चिल्लाकर गला साफ करते अक्सर नजर आते हैं ।उनकी बातों से तो ऐसा नजर आता है कि जैसे राज्य का निर्माण उन्होंने ही किया हो। ये सब बेरोजगार युवाओं का मामला हो, पलायन का मामला हो ,राज्य के विकास का मामला हो , रोजगार जैसे मुद्दों पर इनकी चुप्पी की हैरान करने‌ वाली है। विधायक/मंत्रियों के लिए बेतन ,आवास,महंगी गाड़ी खरीदने का मामला हो अन्य भत्ते सभी सुविधाएं मंजूर हैं । प्रदेश की हालत दयनीय है बेरोजगार अपने हक की बात करते हैं तो उन पर लाठीचार्ज होता है उन्हें संगीन धाराओं में जेल में डाला जाता है । बेरोजगारों की मांगों पर इनकी खामोशी कई सवाल खड़े करती हैं । ऐसे में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बड़ा मन दिखाया । एक जनप्रतिनिधि को ऐसा ही होना चाहिए ।जो गलतियों को स्वीकार करें। पूर्व मुख्यमंत्री रावत बयान की हर जगह प्रशंसा हो रही है।