विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की पहाड़ी समाज पर की गई टिप्पणी की आग थमने का नाम नहीं ले रही है। मीडिया और सोशल मीडिया में इसकी चौतरफा निंदा हो रही है। पहाड़ी समाज में आक्रोश है। होना भी चाहिए। सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर रहे व्यक्ति को सोच समझ कर बोलना चाहिए।
यह पहला मौका नहीं था जब प्रेमचंद अग्रवाल ने विवादित बयान दिया। विवादों से उनका पुराना नाता है । इससे पूर्व भी वह मवालियों की तरह सड़क पर मारपीट करते दिखाई दिए ,अंकिता भंडारी मामले में भी उन्होंने सदन को गुमराह करने की कोशिश की।यही नहीं राज्य आंदोलनकारी जब अपनी कुछ मांगों को लेकर उनके सरकारी आवास पर मिलने गए तो उनसे भी उन्होंने बदसलूकी की। हद तो तब हो गई जब विधानसभा में उन्होंने पहाड़ी समाज को गाली दे दी । और विधानसभा अध्यक्ष ऋतू खंडूरी के अलावा वो सब विधायक जो स्वयंभू राज्य आंदोलनकारी होने का तमगा लगाये फिरते हैं इनमें एक माननीय तो रासूका रासूका का पट्टा पहने हुए रहते हैं इन सब की खामोशी सवालों के घेरे में है। सवाल इनसे भी बनते हैं । इनकी क्या मजबूरी है जो ये सब ख़ामोश रहे किसी ने भी अग्रवाल को रोका नहीं। पहाड़ी समाज पर की गई टिप्पणी की जहां चौतरफा निंदा हो रही है वहीं भाजपा के लिए गर्म दूध जैसे स्थिति आ गई है जिसको ना घूटा जा सकता है और ना थूका जा सकता है।
उल्टा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट विधानसभा अध्यक्ष ऋतू खंडूरी ने आग में घी डालने जैसा काम किया। इस प्रकरण को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने हद कर दी उन्हें प्रेमचंद अग्रवाल को समझाने के बजाय मीडिया और सोशल मीडिया में टिप्पणी करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की धमकी देते नजर आए। वही रितु खंडूरी का व्यवहार विधानसभा में जिस तरह से उन्होंने कांग्रेस के विधायक लखपत सिंह बुटोला के साथ जो दुर्व्यवहार किया।वह निंदनीय है दोहरा मापदंड उनके द्वारा किया गया। जब संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पहाड़ी समाज के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे थे।
उस समय रितु खंडूरी ने उन्हें टोका तक नहीं।उनके इस दोहरे चरित्र को लेकर आम जनमानस हैरान है और प्रेमचंद अग्रवाल, महेंद्र भट्ट के साथ-साथ रितु खंडूरी भी लोगों के निशाने पर है । विपक्ष भी मित्र विपक्ष की भूमिका में एक बार फिर नज़र आया । जब लखपत सिंह बुटोला के साथ ऋतु खंडूरी द्वारा दुर्व्यवहार किया जा रह था उस समय विपक्ष को एकजुटता दिखानी चाहिए थी और बुटोला का साथ देना चाहिए था। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल का भी एक पुराना वीडियो जिसमें वह खुद को बिहारी, और अन्य जातियों को भी बाहरी बताने की बात कर रहे हैं उनके बयान की चौतरफा निंदा हो रही है।
इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रेमचंद अग्रवाल को संयम बरतने की सलाह देते हुए उनके बयान की कड़ी निंदा भी की। सोशल मीडिया में त्रिवेंद्र सिंह रावत की जमकर तारीफ भी हो रही है एक मंजे हुए और वरिष्ठ नेता से यही अपेक्षा की जा सकती है। यहां सवाल पहाड़ और मैदान का नहीं जिसके बीच खाई पाटने की कोशिश की जानी चाहिए। इस प्रदेश में यदि मूल निवास 1950 को लागू किया जाए तो पहाड़ और मैदान की बात नहीं होगी। मूल निवास 1950 में चाहे वह मैदान हो या पहाड़ वहां निवास कर रहे सभी लोग उत्तराखंडी हैं उन्हें किसी को कोई दिक्कत नहीं। लेकिन उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यहां की डेमोग्राफी चेंज हुई यह चिंताजनक है यहां बाहरी प्रदेश के लोगों ने जमीनें बड़ी मात्रा में खरीदी। और स्थाई निवास का प्रमाण पत्र बनाकर यहां के मूल निवासियों के हकों पर डाका डाल रहे हैं जिस पर यहां के मूल निवासियों को घोर आपत्ति है। बजट सत्र में लोगों की नजर थी जिसमें बजट के अलावा एकाएक भू कानून जो लंबे समय से यहां के लोगों की मांग थी को लाया गया जिस पर चर्चा होनी चाहिए थी उसको बिना चर्चा के लागू कर दिया गया और भाजपा के नेता उसे सशक्त भू कानून बताने का प्रयास कर रहे थे तब तक प्रेमचंद अग्रवाल का ऐसा बयान आया कि सरकार उस कमजोर भू कानून को अपने पक्ष में भूना भी नहीं पाई। प्रेमचंद अग्रवाल के बयान पर मीडिया भी बंटी नजर आ रही है। मैदानी मूल के कुछ पत्रकार प्रेमचंद अग्रवाल के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे हैं तो अधिकांश उनके बयानों की निंदा कर रहे हैं। बहरहाल यह मामला गंभीर हो गया है और प्रेमचंद अग्रवाल की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है पार्टी सूत्रों की माने तो जल्द ही प्रेमचंद पर पार्टी हाईकमान बड़ी कार्यवाही करने जा रही है । लेकिन यदि उन्हें मंत्रिमंडल से हटाती है तो वैस्य समाज नाराज होगा और मैदानी समाज में भी नाराजगी देखने को मिल सकती है और यदि कोई कार्रवाई नहीं होती तो यह मामला और तूल पकड़ेगा। वैसे भी लोगों के निशाने पर प्रेमचंद अग्रवाल के साथ ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, ऋतु खंडूरी और सुबोध उनियाल के खिलाफ लोग सड़कों पर हैं। जगह जगह उनके पुतले फूंककर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष ऋतू खंडूरी को गो बैक, गो बैक जैसे नारों का सामना करना पड़ रहा है। अब देखना है भाजपा पार्टी हाईकमान इस मामले का पटाक्षेप कैसे करता है।
पार्टी