देहरादून__भाजपा के वरिष्ठ राजनीतिज्ञ, चिंतक तथा बुद्धिजीवी प्रकाश सुमन ध्यानी की एक और पुस्तक ‘सनातन प्रज्ञा- प्रवाह’: प्रकाशित हुई। जिसमें विश्व के प्रथम ग्रंथ वेद जो भारतीय अध्यात्मिक और संस्कृति की देन है को लेकर ध्यानी ने वेदों के काल से लेकर भारत की सनातन सभ्यता और धर्म तथा अध्यात्म को विश्वभर में प्रसारित करने वाले आधुनिक सनातन संत, स्वामी विवेकानंद तक की यात्रा के कर्म में महाकाव्य काल, जैन ,बौद्धकाल, दार्शनिक काल ,प्राचीन और मध्यकाल भक्तिकाल तथा अंतिम मुगल साम्राज्य के पतन के उपरांत 18वीं और 19वीं सदी में राजा राममोहन राय, दयानंद सरस्वती, एवं स्वामी विवेकानंद के कार्यों को समेटा है ।
भाजपा नेता एवं लेखक ध्यानी ने इस पुस्तक में “गागर में सागर” भरने का प्रयास किया है ।बहुत सरल शब्दों में उन्होंने पुस्तक में इस कालखंड को समेटने का प्रयास किया है। इससे पूर्व ध्यानी की पहली पुस्तक “विश्व इतिहास दर्शन”जिसमें विश्व के इतिहास, विभिन्न धर्मों, विभिन्न देशों की संस्कृति को रेखांकित किया है। “विश्व इतिहास दर्शन “पुस्तक को पाठकों के लिए किसी खुराक से कम नहीं है। जिसमें लेखक ध्यानी ने विश्व सभ्यता को बड़े गंभीरता से रेखांकित किया है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रकाश सुमन ध्यानी जीव विज्ञान मे स्नातकोत्तर होने के बावजूद इतिहास के प्रति उनकी इतनी गहरी समझ और रुचि उनकी कुशाग्र बुद्धि का परिचय है। लेखक ध्यानी भाजपा के उन वरिष्ठ नेताओं में से एक है जिन्होंने उत्तराखंड में भाजपा की नींव को मजबूती से खड़ा किया ।दो पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूरी और डॉक्टर निशंक के प्रमुख पर्यटन सलाहकार रहे। भाजपा में कई पदों पर रहे। केन्द्रीय समितियों के सदस्य रहकर अपनी बुद्धिमता का परिचय दिया। पहली पुस्तक की सफलता के बाद यह उनकी दूसरी पुस्तक है। पहली पुस्तक विश्व इतिहास दर्शन का विमोचन मानव संसाधन मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया था। पुस्तक के प्रति पाठकों की बढ़ती रूचि को देखते हुए लेखक ने एक और पुस्तक प्रकाशित की। जिसका पाठकों को बेसब्री से इंतजार था।