शहर में दौड़ रही डीजल सिटी बसों को बाहर करने की सरकार ने शुरु की तैयारी, अब इन बसों में होगा सफर 

देहरादून। शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने, आमजन को सुविधाजनक और आरामदायक सफर उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने शहर में दौड़ रही डीजल सिटी बसों को बाहर करने की तैयारी कर ली है। डीजल बसों के स्थान पर शहर में केवन सीएनजी व इलेक्ट्रिक बसें चलेंगी। इसके लिए सिटी ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (सीटीसी) का गठन किया जाएगा, जो उत्तराखंड परिवहन निगम के अधीन रहेगा। वर्तमान में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत संचालित हो रही 30 इलेक्ट्रिक बसें भी सीटीसी के अधीन ही संचालित होंगी। नई सीएनजी या इलेक्ट्रिक बस लाने पर ट्रांसपोर्टर को सब्सिडी देने की तैयारी चल रही है।

शहर में सार्वजनिक परिवहन सेवा में सुधार के लिए गुरुवार को सचिवालय में मुख्य सचिव डा. एसएस संधु की अध्यक्षता में यूनीफाइड मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (यूएमटीए) की बैठक हुई। इस दौरान स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) के गठन पर चर्चा हुई। इसके तहत प्रारंभिक चरण में देहरादून शहर, जबकि अगले चरण में ऋषिकेश, हरिद्वार, हल्द्वानी, नैनीताल व काशीपुर में परिवहन सेवा में सुधार पर मंथन हुआ।

परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वह पिछले एक वर्ष से शहर में सीएनजी सिटी बसों के संचालन की कसरत कर रहे हैं। इसके लिए सिटी बस संचालकों के साथ पिछले वर्ष बैठक भी की जा चुकी है। अधिकारियों ने बताया कि बैठक में जब शहर में डीजल सिटी बसों के बदले इलेक्ट्रिक सिटी बसों के संचालन का प्रस्ताव रखा गया तो सिटी बस संचालकों ने इसे सिरे से नकार दिया। उनका कहना था कि वह एक से सवा करोड़ रुपये कीमत की इलेक्ट्रिक बस नहीं खरीद सकते।

हालांकि, सीएनजी बसों पर उन्होंने सशर्त सैद्धांतिक सहमति दे दी थी। शर्त यह थी कि स्मार्ट सिटी परियोजना की इलेक्ट्रिक बसों की तर्ज पर सिटी बस संचालकों को भी सीएनजी बसों में सब्सिडी दी जाए। इलेक्ट्रिक बसें संचालित कर रही निजी कंपनी को स्मार्ट सिटी कंपनी की ओर से प्रति किमी 67 रुपये भुगतान किया जा रहा।

सिटी बस संचालकों की मांग है कि सीएनजी बस खरीद पर उन्हें 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाए। संचालकों ने बताया था कि सीएनजी की 25 सीटर बस की कीमत लगभग 25 लाख रुपये है। सब्सिडी के तौर पर सरकार अगर साढ़े 12 लाख रुपये देती है तो वह सीएनजी बस लाने को तैयार हैं। ट्रांसपोर्टरों ने सूबे में पर्यटन विभाग की ओर से संचालित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना के तहत भी सिटी बस संचालकों को चार प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने की मांग भी रखी।