गहलोत का दांव कितना कारगर होगा?

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 25 नवंबर को होने वाले मतदान से एक बड़ा दांव चला है। उन्होंने मंगलवार को एक कार्यक्रम में कहा कि राज्य की सभी दो सौ सीटों पर वे खुद चुनाव लड़ रहे है। उन्होंने कहा कि मतदाताओं को लोकल मामले पर ध्यान नहीं देना है और न यह देखना है कि कौन चुनाव लड़ रहा है। गहलोत ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में जो काम किया है और जो नीतियां बनाई हैं, उनको ध्यान में रख कर लोग मतदान करें। यह पहली बार है, जब किसी मुख्यमंत्री ने यह कहा है कि सभी सीटों पर वह खुद चुनाव लड़ रहा है।

ध्यान रहे भारतीय जनता पार्टी ने अपना मुख्यमंत्री का दावेदार घोषित नहीं किया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ रही है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने यह नहीं कहा कि हर सीट पर वे लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा का चेहरा कमल का निशान है। लेकिन गहलोत ने कहा कि हर सीट पर वे खुद लड़ रहे हैं। पता नहीं कांग्रेस आलाकमान ने उनकी इस बात को किस रूप में लिया है क्योंकि उसकी ऑथोरिटी को भी चुनौती है। राजनीतिक लिहाज से भी यह जोखिम वाला दांव है। गहलोत को ऐसा लग रहा है कि अपनी लोक लुभावन घोषणाओं पर बहुत ज्यादा यकीन है और साथ ही इस बात का भी भरोसा है कि उनके पिछड़ी जाति से होने की वजह से एक बड़ा वोट समूह उनके साथ जुड़ेगा। यह भी कहा जा रहा है कि विधायकों के प्रति स्थानीय स्तर पर बहुत नाराजगी है। उन्होंने उस नाराजगी को दूर करने के लिए भी अपने चेहरे पर वोट डालने की अपील की है।