बहुत से लोग वजन कम करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन कुछ को अपना वजन कम करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में अक्सर यह सवाल उठता है कि आखिर कौन सी वे बीमारियां हैं जो हमारे शरीर को वजन घटाने से रोकती हैं। कुछ स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं जो हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म और हार्मोनल संतुलन को बाधित करती हैं जिससे वजन कम कर पाना मुश्किल हो जाता है. ये बीमारियां हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म क्रिया को धीमा करके या भूख बढ़ाकर वजन कम होने से रोकती हैं। अगर आपको लगता है कि वजन घटाने के लिए आप कितनी भी कोशिश क्यों न करें, वजन कम नहीं हो रहा है तो हो सकता है कि आप इन बीमारियों का शिकार हो।
थायरॉयड
थायरॉयड हार्मोन की वजह से हाइपरथायरॉयडिज्म बीमारी होता है जिससे भी वजन कम करना कठिन हो जाता है। व्यक्ति चाहकर भी अपना वजन कम नहीं कर पाता। क्योंकि थायरॉयड हार्मोन की अधिक होने से लोगों का मोटापा बढ़ता है। थायरॉयड के संतुलन के बिना शरीर का वजन, चाहे वह कम हो या ज्यादा, नियंत्रित नहीं रह पाता. अत: थायरॉयड की समस्या वजन घटाने में एक बड़ी बाधा बनती है।
पीसीओएस
पीसीओएस यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक आम समस्या है जो महिलाओं में देखी जाती है. पीसीओएस वाली महिलाओं के शरीर में इन्सुलिन नामक हार्मोन ज्यादा होता है। इन्सुलिन की वजह से खाने से मिलने वाली कैलोरी जल्दी वसा में बदल जाती है. यानी मोटापा बढऩे लगता है. इसके अलावा, हार्मोन्स में असंतुलन होने से पीसीओएस में शरीर की सामान्य प्रक्रियाएं भी बिगड़ जाती हैं। इनमें से एक मेटाबॉलिज्म कहलाने वाली प्रक्रिया है. इन सब कारणों से, पीसीओएस वाली महिलाएं डाइट पर कंट्रोल और एक्सरसाइज करने के बाद भी वजन नहीं घटा पातीं।
कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स
कॉर्टिकोस्टेरॉयड शरीर में मौजूद एक प्रकार का हार्मोन होता है, जो स्ट्रेसफुल स्थितियों में अतिरिक्त मात्रा में बनता है. इस हार्मोन की अधिकता से कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जिनमें से एक है – वजन बढऩा और फिर वजन कम करने में परेशानी. एक बार जब व्यक्ति मोटा हो जाता है तो फिर कॉर्टिकोस्टेरॉयड के कारण उसे अपना वजन कम करने में बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। यही कारण है कि कॉर्टिकोस्टेरॉयड की अधिकता वाले लोग आसानी से वजन नहीं कम कर पाते।
डिप्रेशन
डिप्रेशन के कारण कुछ लोगों की भूख कम हो जाती है, जबकि कुछ लोग अधिक खाने लगते हैं। जो लोग अधिक खाते हैं, उनमें तेज़ी से वजन बढऩे लगता है। डिप्रेशन में शरीर में सेरोटोनिन नामक हार्मोन कम हो जाता है, जो भूख और मूड को नियंत्रित करता है।