अगर आपका भी हार्ट रेट बढ़ा हुआ है तो हो जाएं सावधान, कई तरह के होते हैं नुकसान

हृदय रोगों के मामले दुनियाभर में तेजी से बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं। कुछ दशकों पहले तक इसे उम्र बढ़ने के साथ होने वाली बीमारी के रूप में देखा जाता था हालांकि अब 30 से कम उम्र में ही न सिर्फ लोग हृदय रोगों का शिकार हो रहे हैं साथ ही हार्ट अटैक जैसी दिक्कतों के कारण लोगों की मौत भी हो रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, खराब होती दिनचर्या और खान-पान में गड़बड़ी ने हृदय रोगों के खतरे को काफी बढ़ा दिया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कम उम्र से ही सभी लोगों को अपने हृदय स्वास्थ्य को लेकर अलर्ट रहना चाहिए। इसके लिए नियमित रूप से ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और हार्ट रेट की जांच कराते रहें। अध्ययनों से पता चलता है कि हार्ट रेट यानी कि जिन लोगों के दिल की धड़कन में अनियमितता (कम या ज्यादा) होती है, उनमें आगे चलकर हृदय रोगों का खतरा भी अधिक हो सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, आराम करते वयस्कों के लिए सामान्य तौर पर हार्ट रेट 60 से 100 बीट प्रति मिनट होना चाहिए। हालांकि अगर आपका हार्ट रेट अक्सर बहुत बढ़ा हुआ रहता है तो ये संकेत हो सकता है कि आपके दिल में सबकुछ ठीक नहीं है। आपका शरीर अपने आप ही आपके दिल की धड़कनों को नियंत्रित करता है। यही कारण है कि जब आप सक्रिय, उत्साहित या डरे हुए होते हैं तो आपकी हृदय गति तेज हो जाती है। और जब आप आराम कर रहे होते हैं, शांत या सहज होते हैं तो यह कम होती है। अपनी हृदय गति को मापने के लिए अपनी नाड़ी की जांच करें। यदि आपका हार्ट रेट 100 बीट्स प्रति मिनट (बीपीएम) से अधिक हो तो सावधान हो जाना चाहिए।

हार्ट रेट अधिक बने रहने के कई तरह के होते है नुकसान 

लंबे समय तक तेज धड़कन के कारण हृदय को रक्त पंप करने में कठिनाई हो सकती है जिससे हृदय पर अतिरिक्त दबाव बढ़ता है। शरीर को ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति ठीक तरीके से न हो पाने के कारण थकान और कमजोरी जैसी दिक्कतों का खतरा हो सकता है। असामान्य और अत्यधिक तेज हार्ट रेट के कारण हार्ट अटैक का भी जोखिम हो सका है। हार्ट रेट बढ़ने की ही तरह इसका कम होना भी सेहत के लिए ठीक नहीं है। हृदय गति कम होने को ब्रैडीकार्डिया भी कहा जाता है, इसका मतलब है कि आपका दिल 60 बीट्स प्रति मिनट (बीपीएम) से कम धड़कता है। हृदय गति में कमी आने के कारण रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है जिसके कारण सिरदर्द, चक्कर आना या बेहोशी हो सकती है। शरीर की जरूरत के अनुसार रक्त संचार कम होने की स्थिति में आपको हृदय की गंभीर जटिलताओं का खतरा हो सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, हार्ट रेट कम या ज्यादा होने के कई कारण हो सकते हैं। कुछ प्रकार की बीमारियों के कारण भी इस तरह की समस्या होती है। यदि आपको कोई बीमारी नहीं है तो कुछ आसान से उपायों का पालन करके इसमें सुधार किया जा सकता है।

नियमित व्यायाम करें। योग, वॉकिंग और कार्डियो व्यायाम से हार्ट रेट ठीक रहता है।
संतुलित आहार लें। फल, सब्जियां, कम वसा वाला भोजन आपके दिल की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है।
ध्यान और मेडिटेशन करें जिससे स्ट्रेस की समस्या कम हो सके। स्ट्रेस कम होने से भी हार्ट रेट ठीक रहता है।
धूम्रपान और शराब का सेवन न करें। इसके कारण भी दिल की धड़कन प्रभावित हो सकती है।
प्रतिदिन 7-8 घंटे की नींद लें। नींद की कमी के कारण भी हृदय स्वास्थ्य की समस्याएं हो सकती हैं।
यदि आपका हार्ट रेट लगातार सामान्य से अधिक या कम रहता है, तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

(साभार)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *