सूर्य मिशन आदित्य एल1 ने पृथ्वी की कक्षा बदलने का दूसरा चरण किया पूरा

बंगलूरू। भारत के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल1 उपग्रह ने पृथ्वी की कक्षा बदलने का दूसरा चरण पूरा कर लिया है। इसरो ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि बेंगलुरु स्थित इस्ट्रैक (ISTRAC) सेंटर से आदित्य एल1 के पृथ्वी की कक्षा बदलने का दूसरा चरण सफलतापूर्वक किया गया। इस ऑपरेशन के दौरान मॉरीशस, बेंगलुरु और पोर्ट ब्लेयर में ISTRAC/ISRO के ग्राउंड स्टेशनों ने उपग्रह को ट्रैक किया। इसरो ने आगे बताया कि अब आदित्य एल1 की नई कक्षा 282 किमी x 40225 किमी है। तीसरी कक्षा बदलने का अगला अभ्यास (ईबीएन#3) 10 सितंबर 2023 को लगभग 02:30 बजे किया जाएगा।

इससे पहले तीन सितंबर को आदित्य एल1 ने सफलतापूर्वक कक्षा बदल थी और उसे पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया था। इसरो ने रविवार को सुबह करीब 11.45 बजे आदित्य एल-1 की पहली अर्थ बाउंड फायरिंग की थी, जिसकी मदद से आदित्य एल1 ने कक्षा बदली। इसरो ने शनिवार को पीएसएलवी सी57 लॉन्च व्हीकल से आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से हुई। यह मिशन भी चंद्रयान-3 की तरह पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और फिर यह तेजी से सूरज की दिशा में उड़ान भरेगा।

इसरो ने बताया कि आदित्य एल1 ने अपनी कक्षा बदलकर अगली कक्षा में प्रवेश किया। आदित्य एल1 पृथ्वी की कक्षा में 16 दिन बिताएगा। इस दौरान पांच बार इसकी कक्षा बदलने के लिए अर्थ बाउंड फायरिंग की जाएगी। 110 दिन की यात्रा के बाद आदित्य एल1 लैग्रेजियन-1 पॉइंट पर पहुंचेगा। लैग्रेंजियन-1 पॉइंट पहुंचने के बाद आदित्य एल1 में एक और मैनुवर किया जाएगा, जिसकी मदद से आदित्य एल1 को एल1 पॉइंट के हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। यही से आदित्य एल1 सूरज की स्टडी करेगा। यह लैग्रेंजियन पॉइंट सूरज की दिशा में पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है। आदित्य एल1 के साथ सात पेलोड भेजे गए हैं, जो सूरज का विस्तृत अध्ययन करेंगे। इनमें से चार पेलोड सूरज की रोशनी का अध्ययन करेंगे। वहीं बाकी तीन सूरज के प्लाजमा और चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करेंगे।