हाईवे पर चलती कार में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई किशोरी, दरिंदगी बताकर रो पड़ी पीड़िता

कुशीनगर।  पडरौना में हाईवे पर चलती कार में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई किशोरी सोमवार को थाने में दरिंदों की दरिंदगी बताकर रो पड़ी और मां से लिपट गई। वहां मौजूद महिला सिपाही ने किशोरी को समझाया, लेकिन इसकी सिसकियां कम नहीं हुई। किशोरी की मां ने बताया कि घटना के बाद घर पहुंची युवती सहमी हुई थी और रात को सो नहीं रही थी, तो निजी डॉक्टर से इलाज कराना पड़ा। इसके बाद तबीयत में सुधार हुआ। सोमवार को उसकी बड़ी और माता-पिता साथ में दिन भर थाने से लेकर सीएचसी तक परेशान रहे। थाने में मौजूद किशोरी ने बातचीत के दौरान बताया कि मां गांव में समूह की मीटिंग में गई थी और पिता मजदूरी करने गांव में गए थे। घर में मैं अकेली थी। दोपहर में गांव का क्यामुद्दीन आया और यज्ञशाला की तरफ लेकर चला गया। वहां रात को बगीचे में रखा और गलत काम किया। विरोध करने पर सुबह छोड़ने की बात कही।

इसके बुलाने पर तीन युवक कार लेकर पहुंचे और उसे जबरन लेकर गोरखपुर-हाटा हाईवे पर चले गए। कार में चारों युवकों ने शराब और सिगरेट पी। इसके बाद जहांगीर अपने मोबाइल में अश्लील वीडियो मुझे जबरन दिखा रहा था। विरोध करने पर मार रहा था। इसके बाद चारों युवक सामूहिक दुष्कर्म किए। पीड़िता ने बताया कि सुबह से लेकर शाम तक कार में उसे लेकर घूमते रहे। दिन में खाना तक नहीं दिया, सिर्फ पानी और बिस्किट दिए थे। रात को जब लेकर थाने में युवक पहुंचे थे, जहांगीर ने इंस्पेक्टर से हाथ मिलाया और सभी साथ बैठकर चाय पीए। इसके बाद मेरे घरवालों को बुलाया गया। मां कार्रवाई की जिद्द पर अड़ गई और मुझे घर ले जाने से मना कर दिया। लेकिन पुलिस वाले उस दिन आरोपियों का ही पक्ष लेने लगे। किशोरी की मां ने बताया कि लग रहा था कि अब न्याय नहीं मिलेगा।

थाने में आने पर इंस्पेक्टर अपशब्द बोलकर भगा देते थे और उनके पास ही आरोपी बैठा रहता था। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस सक्रिय हुई और न्याय मिला। बेटी की यह बात सुनकर पिता और बड़ी बहन की आंखें भर आईं। जहांगीर कार्रवाई की जद में आए इंस्पेक्टर का चहेता था। चर्चा है कि थाने पर आने वाले अधिकांश मामलों में पुलिस से वार्ता इसके माध्यम से होती थी। इंस्पेक्टर का प्राइवेट वाहन लेकर बाजार और अपने गांव में घूमता रहता था। आरोपी जहांगीर की पुलिस से नजदीकी गांव में एक जमीन पर कब्जा करने के दौरान बढ़ी। इसके बाद उसका अधिकांश समय थाने में कटता था। अगर थाने में लगे सीसीटीवी फुटेज और इंस्पेक्टर के मोबाइल का कॉल डिटेल निकाल दिया जाए तो गैंगरेप के आरोपी और पुलिस की नजदीकियों का राज खुल जाएगा। घटना में शामिल जहांगीर की कार, जिसमें यह घटना हुई, अभी तक पुलिस बरामद नहीं कर सकी है।

लोगों में चर्चा है कि आखिर जहांगीर और इंस्पेक्टर से ऐसी कौन सी नजदीकी थी कि गैंगरेप के मामले में भी कार्रवाई करने से कतरा रहे थे। जहांगीर पुलिस से नजदीकी बढ़ाकर गांव में कमजोर लोगों को परेशान करता था। साहस जुटाने के बाद पीड़ित परिवार आरोपी पर कार्रवाई के लिए अडिग हुआ था। निलंबित हुए कप्तानगंज के इंस्पेक्टर विनय कुमार सिंह ने एसपी को भी भ्रामक जानकारी दी थी। पीड़ित परिवार एसपी से मिलकर शिकायत किया था और इंस्पेक्टर की भूमिका को संदिग्ध बताया था, लेकिन जोड़तोड़ में माहिर इंस्पेक्टर ने अपने अफसर को भी गलत जानकारी देकर कुर्सी बचा ली थी, लेकिन 14 दिन बाद वीडियो वायरल होने पर सच्चाई सामने आई और इंस्पेक्टर को कुर्सी गंवानी पड़ी। कार्रवाई के जद में आए दरोगा और गैंगरेप के आरोपी जहांगीर का भी सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है।