आई.एन.डी.आई.ए का प्रधानमंत्री चेहरा कौन ?

अजय दीक्षित

पिछले डेढ़ साल से बिहार के सुशासन बाबू नितीश कुमार ने मोदी को मात देने के लिए विपक्ष को एकजुट करने की शुरुआत की थी । बाद में मुख्यत: कांग्रेस की पहल पर आई.एन.डी.आई.ए.  बना जो देश की एकता को लेकर प्रयत्नशील है । इसकी तीसरी बैठक विगत दिन दिल्ली में हुई । वहां ममता बनर्जी ने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े का नाम प्रस्तावित किया जिसका आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल ने समर्थन किया कहते हैं। इस प्रस्ताव के पक्ष में मात्र आठ पार्टियां हैं । शेष पार्टियों का कहना है कि बिना विचार विमर्श किये किसी नाम की घोषणा नहीं की जानी चाहिए । यह भी कहते हैं कि मल्लिकार्जुन के नाम की घोषणा के बाद नितीश कुमार लालू यादव के साथ उठ कर चले गये । उन्होंने फोटो सेशन में भी भाग नहीं लिया और मीटिंग के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस से भी गायब रहे । लालू यादव की बात समझ में आती है । नितीश कुमार जब विहार से बाहर जायेंगे तभी उनका पुत्र तेजस्वी यादव बिहार का मुख्य मंत्री बन सकता है । ‘लैण्ड फॉर जॉब’ में वह आरोपी हैं । देर सबेर उसमें सजा होकर रहेगी । लालू यादव हैल्थ ग्राउण्ड पर जेल से बाहर हैं पर सक्रिय राजनीति में भाग ले रहे हैं । यूं महाराष्ट्र में अजीत गुट के वरिष्ठ जो पहले के मंत्रिमंडल में भी थे, अब हैल्थ ग्राउण्ड पर सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर होकर भी विधानसभा में बैठते हैं –पर सत्ता पक्ष की ओर से। तो बी.जे.पी. को अब लालू यादव पर सवाल उठाने का नैतिक आधार नहीं है।

यूं मल्लिकार्जुन खडग़े ने स्वयं कहा है कि लोक-सभा के चुनाव के बाद 2024 में हमारी जितनी सीटें आती हैं, उसके बाद ही प्रधानमंत्री का नाम तय हो सकता है । यूं ममता बनर्जी, अरविन्द केजरीवाल, अखिलेश यादव, नितीश कुमार तथा अन्य दलों के नेताओं की भी ख्वाहिश प्रधानमंत्री बनने की है । असल में ये नेता अपने-अपने प्रदेश की स्थानीय पार्टी से सम्बन्धित हैं । इनका जनाधार अपने प्रदेश के बाहर नहीं है । अरविन्द केजरीवाल कह सकते हैं कि उनकी पार्टी दिल्ली और पंजाब दो राज्यों में है । परन्तु दिल्ली में तो कठपुतली सरकार है । यूं भी आम आदमी पार्टी शराब घोटाले में आरोपी है । मनीष सिसोदिया, संजय सिंह जेल में हैं । स्वयं अरविन्द केजरीवाल को ईडी का समन जा चुका है । ममता बनर्जी मात्र पश्चिमी बंगाल तक सीमित है । अखिलेश यादव का कोई असर यू.पी. के बाहर नहीं है।

ममता बनर्जी ने खडग़े का नाम लेकर गुगली खेली है । खडग़े अब 81 वर्ष के हो गये हैं । कर्नाटक से सम्बन्धित हैं । यूं हिन्दी फर्राटे के साथ बोलते हैं । दलित चेहरा है। उन्हें काफी प्रशासनिक अनुभव है । कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं ।
असल में भारतीय जनता पार्टी का बर्चस्व बढ़ता ही जा रहा है । वहां सब कुछ अब मोदी और उनके सलाहकार गृहमंत्री अमित शाह पर निर्भर करता है । मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जिस प्रकार केन्द्रीय मंत्रियों और सांसदों को चुनाव लड़वाया है, और ये उम्मीदवार अपना डिमोशन मानकर भी चुप है, तो इससे मोदी का बढ़ता प्रभाव समझा जा सकता है । मध्यप्रदेश में तो अब केन्द्र के भूतपूर्व मंत्री और सांसद अब मात्र विधायक हैं । नरेन्द्र सिंह तोमर केन्द्र में कृषि मंत्री थे । वे अब मात्र स्पीकर हैं । यूं भाजपा ने कहते हैं नरेन्द्र सिंह तोमर पर दया ही की है ।

खडग़े बहुत गरीबी में जिये हैं । सन् 1940 में उनकी मां और बहन को जिंदा जला दिया गया था । उनके पिता एक मजदूर थे । किसी तरह खडग़े पढक़र वकील बने । अभी हाल में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की 98 सीटों में उसने 57 सीटें जीती जो अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित थी । कांग्रेस को मात्र 40 सीटें मिलीं । समय बतलायेगा कि क्या आई.एन.डी.आई.ए. भाजपा को मात दे सकता है ? अभी तो सन् 2024 में मोदी ही तीसरी बार प्रधानमंत्री बनते दिख रहे हैं ?