बहुआयामी प्रतिभा के धनी हिमालय पुत्र, स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा को विनम्र श्रद्धांजलि।

पहाड़ की पगडंडियों से निकलकर कैसे एक नौजवान भारतीय राजनीति के शिखर तक पहुंचा। लगभग 5 दशक तक भारतीय राजनीति के क्षितिज पर छाए रहे। कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हिमालय पुत्र हेमवती नंदन बहुगुणा की आज 104वी जयंती है।
मैं लगभग दस बारह साल का रहा होऊंगा याद नहीं है लेकिन श्रीनगर और जो देवप्रयाग के बीच बागवान में उनका ओजस्वी भाषण सुना। जब पहाड़ की जवानी और पहाड़ के पानी के बारे में कह रहे थे कि यदि पहाड़ की जवानी और पहाड़ का पानी रोका जाए तो पहाड़ के विकास को कोई नहीं रोक सकता।
हेमवती नंदन बहुगुणा का जन्म आज ही के दिन 25 अप्रैल 1919 को पौड़ी गढ़वाल के चलणस्यूं पट्टी के बुघाणी गांव में हुआ था । पिता रेवती नंदन बहुगुणा और माता दीपा देवी के इस बेटे ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही शुरू की। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए देहरादून के डीएवी और स्नातक की शिक्षा के लिए वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए की परीक्षा उत्तीर्ण की। बहुत कम लोग जानते हैं कि उनकी दो शादियां थी। उनका प्रथम विवाह नारायण दत्त चंदोला की सुपुत्री धनेश्वरी देव के साथ हुआ था ।जो लेकिन समय तक बुघाणी में ही रही ।जबकि दूसरी शादी उन्होंने जाने-माने साहित्यकार राम प्रसाद त्रिपाठी की सुपुत्री कमला त्रिपाठी के साथ मई 1946 में की। बात करें उनके राजनीतिक सफर का तो 1942 से ही उनका राजनीति जीवन की शुरुआत हुई। जब भारत छोड़ो आंदोलन में वे शामिल हुए और उनको पकड़ने के लिए इनाम तक रखा गया । 1 फरवरी 1943 को उनकी गिरफ्तारी हुई। और 1945 में उनकी रिहाई हुई। इस बीच इन्होंने विद्यार्थी आंदोलन में खुलकर भाग लिया । इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्टूडेंट यूनियन की वर्किंग कमेटी के सदस्य रहे । और कई ट्रेड यूनियन का गठन किया । हेमवती नंदन राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव भी रहे ।बहुगुणा विलक्षण, संगठन क्षमता ,राजनीतिक जोड़-तोड़ और तिकड़म बाजी में वह माहिर थे। 1952 से लगातार 1967 ,1974 से 1977 तक विधानसभा सदस्य रहे । इसी दौरान 8 नवंबर 1973 को उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला । हालांकि उनका कार्यकाल 4 मार्च 1974 को समाप्त हुआ उसके बाद पुनः 5 मार्च उन्नीस सौ 74 से 29 नवंबर 1975 तक दूसरी बार वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे । एक जन नेता के रूप मे वे जाने जाते थे । उन्हें धरतीपुत्र और हिमालय पुत्र के नाम से भी पुकारा जाता है ग्रामीणों, मजदूरों नौकरी पेशा लोगों बुद्धिजीवियों अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिम समुदाय में उनकी जबरदस्त पकड़ थी। 1974 में उनकी इस छवि का लाभ तब देखने को मिला जब बहुगुणा ने अपने प्रतिपक्षी चंद्रभानु गुप्त की लखनऊ में जमानत जफ्त कर दी थी। 1977 में इंदिरा गांधी ने देश में जब इमरजेंसी लगा दी थी और पुनः चुनाव कराने की घोषणा की । जिससे हेमवती नंदन बहुगुणा नाराज हो गए और अपनी अलग पार्टी बनाने का फैसला किया । जिसका नाम उन्होंने कांग्रेस FCD कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी रखा। मोरारी देसाई की सरकार में केंद्रीय मंत्रिमंडल में पेट्रोलियम रसायन तथा उर्वरक मंत्री रहे। 1971 1977, 1980 में लोकसभा सदस्य के रूप में उन्होंने काम किया। कहते हैं उनके बढ़ते वर्चस्व से इंदिरा गांधी डरी हुई थी। संजय गांधी की राजनीति में एंट्री हो गई थी। 1980 मे संसदीय चुनाव में गढ़वाल सीट से इंदिरा गांधी की कांग्रेस (आई )पार्टी से उम्मीदवार के रूप में बहुगुणा ने जीत हासिल की। संजय गांधी और इंदिरा गांधी की वजह से उन्हें अपनी सीट से इस्तीफा देना पड़ा। 82 में इसी सीट के लिए हुए उपचुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की। यह वह चुनाव था । जिसमें पूरे देश की नजर लगी थी। चुनाव इंदिरा गांधी वर्सेस हेमवती नंदन बहुगुणा के बीच में देखा गया । हालांकि कांग्रेस आई ने चंद्रमोहन सिंह नेगी को यहां चुनाव लड़ा था । बहुगुणा इस चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब रहे। 1984 के लोकसभा चुनाव में बहुगुणा इलाहाबाद निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार अमिताभ बच्चन के खिलाफ चुनाव लड़े। और लगभग 1,87,000 मतों से चुनाव हार गए ।उसके बाद इस जनप्रिय नेता ने राजनीति से संयास ले लिया। 1989 में अमेरिका में इलाज के दौरान उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। देश के साथ अपनी जन्मभूमि के प्रति उनका गहरा लगाव था। वह अपनी जन्मभूमि से बहुत प्यार करते थे । पर्वतीय क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इसके लिए अलग पर्वतीय विकास मंत्रालय बनाया । जो पहाड़ी क्षेत्र के विकास के लिए मील का पत्थर साबित हुआ । उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर और कुमाऊं विश्वविद्यालय की स्थापना की । बहुगुणा के बड़े बेटे विजय बहुगुणा उत्तराखंड की राजनीति में सक्रिय हैं वे टिहरी लोकसभा से सांसद के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में काम कर चुके हैं उनके नाती सौरभ बहुगुणा इस समय धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं बहुगुणा की सुपुत्री रीता बहुगुणा जोशी भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता के रूप में काम कर रही हैं।

आज उनकी 104 वीं जयंती के उपलक्ष में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दी। आज प्रदेश में इस अवसर पर जगह-जगह उन्हें याद किया गया मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अल्मोड़ा में उन्हें श्रद्धांजलि देते उन्हें एक महान नेता बताया। और कहा कि बहुगुणा ने अपने सिद्धांतों के साथ कभी समझौता नहीं किया । चाहे वह सत्ता में रहे हो या विपक्ष में ,पराजय से कभी हताश नहीं हुए।

राजधानी में भी महापौर सुनील सुनील उनियाल ‘गामा ‘ की अगुवाई में आज भाजपा के कार्यकर्ताओं ने बहुगुणा की प्रतिमा में पुष्प अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।