श्रीनगर गढ़वाल
सिद्धपीठ मां धारी देवी की मूर्ति शनिवार को पूर्ण विधि विधान के साथ मुहूर्त पर नए मंदिर में बने भगवती के आसन पर विराजमान हो गयीं। 16 जून 2013 से मां भगवती की मूर्ति अस्थायी मंदिर में होने से वहीं पर पूजन हो रहा था। अब पुराने मंदिर से लगभग 25 मीटर की दूरी पर श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की अलकनंदा झील पर लगभग 20 मीटर ऊंचाई पर नए मंदिर का निर्माण हुआ है। जिसमें मां धारी देवी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर विगत 24 जनवरी से नए मंदिर में शतचंडी पाठ का आयोजन किया जा रहा था।
शनिवार को विशेष पूजा अर्चना और यज्ञ के बाद पुराने मंदिर से चरलग्न पर मां भगवती की मूर्ति को लाकर पुजारियों ने नए मंदिर में स्थापित किया। भक्तों और मां पुजारी न्यास समिति की ओर से पंडित सच्चिदानंद पांडे और पंडित विशम्बर पांडे ने यज्ञ में आहुति दी। सिद्धपीठ मां धारी देवी मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित लक्ष्मी प्रसाद पांडे ने कहा कि यज्ञ के लिए त्रिजुगीनारायण मंदिर से अग्नि को विशेष रूप से लाया गया था। इस मौके पर स्वास्थ्य और शिक्षामंत्री डा. धन सिंह रावत ने प्रदेश की शांति और खुशहाली तथा जनता की सुख शांति को लेकर भक्तों की ओर से मां भगवती की विशेष पूजा भी की। पूजा अर्चना के बाद शनिवार को प्रातः लगभग पौने नौ बजे नए मंदिर को भक्तों के लिए खोल दिया गया।
नए मंदिर में मां धारी देवी की मूर्ति विराजमान होने के शुभ अवसर पर मंदिर परिसर में पुजारी न्यास समिति के साथ ही भक्तों द्वारा भी अलग से विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया था। स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने मां धारी देवी पुजारी न्यास समिति के पुजारियों से धारी देवी मंदिर की व्यवस्थाओं और भक्तों की सुविधा को लेकर भी वार्ता की। उन्होंने पुजारियों को आश्वस्त किया कि सिद्धपीठ मां धारी देवी मंदिर आने वाले भक्तों के लिए एक सुविधायुक्त और आकर्षक स्नान घाट बनाने के साथ ही झील के तटवर्ती क्षेत्र में सुरक्षा दीवार का भी निर्माण कराया जाएगा।
मंदिर के सौंदर्यीकरण में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। कलियासौड़ में नेशनल हाईवे से लेकर धारी देवी मंदिर तक के पैदल मार्ग को पक्का करवाने का आश्वासन भी मंत्री ने दिया। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित धार्मिक और पर्यटन सर्किट में धारी देवी मंदिर भी शामिल है। इसके विकास को लेकर डीपीआर तैयार की गयी है।